Sunita gupta

Add To collaction

दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय बस स्त्री ही जानती है

बस स्त्री ही जानती है

एक स्त्री का सौन्दर्य उसके
मुख पर उभरे 
तिल से नही आंकी जाती
स्त्री का सौन्दर्य 
उसकी अत्मा में
प्रतिबिम्बित होता है ...
स्त्री का सैन्दर्य 
उसके देह से नही आंकते
वो तो उसके 
नेह में झाँककर ही
पता चलता है
क्योंकि 
उसके नेत्र ही उसका
आईना है।
स्त्री अपना प्रेम 
परवाह में दिखाती है 
स्त्री अपना प्रेम 
धैर्य से दिखाती है 
स्त्री अपना प्रेम 
पूर्णसमर्पित होकर 
दिखाती है
गुजरते वक्त के साथ
सैन्दर्य के साँचे में
खुद को ढ़ालती है
खुद को इस सौंदर्य में 
ढलने की कला
बस स्त्री ही जानती है।

बढ़ती हुई समझ आपको मौन की ओर ले जाती है 
   🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
             शुभ वंदन प्रभात 
    🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

   13
4 Comments

अदिति झा

07-Mar-2023 08:23 AM

Nice 👍🏼

Reply

Swati chourasia

06-Mar-2023 09:34 PM

बहुत खूब 👌

Reply