दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय बस स्त्री ही जानती है
बस स्त्री ही जानती है
एक स्त्री का सौन्दर्य उसके
मुख पर उभरे
तिल से नही आंकी जाती
स्त्री का सौन्दर्य
उसकी अत्मा में
प्रतिबिम्बित होता है ...
स्त्री का सैन्दर्य
उसके देह से नही आंकते
वो तो उसके
नेह में झाँककर ही
पता चलता है
क्योंकि
उसके नेत्र ही उसका
आईना है।
स्त्री अपना प्रेम
परवाह में दिखाती है
स्त्री अपना प्रेम
धैर्य से दिखाती है
स्त्री अपना प्रेम
पूर्णसमर्पित होकर
दिखाती है
गुजरते वक्त के साथ
सैन्दर्य के साँचे में
खुद को ढ़ालती है
खुद को इस सौंदर्य में
ढलने की कला
बस स्त्री ही जानती है।
बढ़ती हुई समझ आपको मौन की ओर ले जाती है
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शुभ वंदन प्रभात
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सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
अदिति झा
07-Mar-2023 08:23 AM
Nice 👍🏼
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मुंशी प्रेमचंद
06-Mar-2023 11:37 PM
nice
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Swati chourasia
06-Mar-2023 09:34 PM
बहुत खूब 👌
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